एक बार की बात छै। एक जंगळ मै एक स्याळ रै छो। वो खुद तो सकार करै कोन छो अर दूसरा का करेड़ा सकार नै खार टेम-पास करै छो। एक बार ऊँनै खाबा बेई कांई भी कोन लाद्‌यो। वो भूखां मरतो एक गांव मै चलग्यो। जद्‌यां होळी को टेम छो। एक आदमी भगुनी मै लाल रंग गोळ मेल्यो छो। स्याळ भूखां मरतो खाबा का चक्‍कर मै ऊँ भगुनी मै जा पड़्यो तो, “स्याळजी तो लालचट्‍ट हैग्यो।” स्याळ तो उल्टोई जंगळ मै भागग्यो। जंगळ का जन्दावर स्याळ नै देखर बच्यार लगाया कै, आज तो जंगळ को राजो नार तो कोनै अर कोई दूसरो आग्यो।
सगळा जन्दावर स्याळ नै कोई कांई ल्यार खुवावै अर कोई कांई ल्यार खुवावै। स्याळ तो जंगळ को राजो बणग्यो। एक दन सगळा जन्दावर बच्यार लगाया कै, आपणा राजा नै ताज ल्यार पैरावां। सगळा जन्दावर गांव मै सूं एक बडो छाजळो ल्यार स्याळ का गळा मै पैरा दिया। अतरामैईं नार आग्यो। वो सांकड़ै आर जोर सूं दाड़्यो तो, सगळा जन्दावर छाना हैग्या। नार फेर जोर सूं दाड़्यो तो सबसूं पहली स्याळ उण्डा सूं भागग्यो। नार स्याळ कै पाछै भागबा लागग्यो। स्याळ दुर मै घुसबा लाग्यो तो, दुर सकड़ो छो, जिसूं छाजळो उळजग्यो अर जिसूं वो दुर मै घुस न सक्यो अर पाछै सूं नार आर स्याळ नै खाग्यो।
  

 सीख: ओकात का स्याब सूं काम करणो चाईजे।

स्याळ बणग्यो राजो