कुलखणा की राण्ड बजाई रण्डवो रहबो ठीक॥(टेर)


ज्यानै मलगी राण्ड करकसा फूट्या जिंका भाग।
पाड़ोस्याँ कै जाडो चडज्या, सुणकर ईंकी छींक॥
कुलखणा की राण्ड बजाई रण्डवो……॥(1)


तीन मजल कै माळै चडकर, बगावै छै आग।
हरदम राड़ मचावै, घर नै जळाकर करदे राख॥
कुलखणा की राण्ड बजाई रण्डवो……॥(2)


समझाबा की एक न लागै, फूंपावै ज्यूँ काळो नाग।
धरती माळै पग न टेकै, कर-कर ऊँची नाक॥
कुलखणा की राण्ड बजाई रण्डवो……॥(3)


सगा कसम कै जूता मारै, नतकई करै जंजाळ।
समझाबाळा हारग्या, देता-देता सीख॥
कुलखणा की राण्ड बजाई रण्डवो……॥(4)