आखर धाम मै चालोनी ढोला पडबा नै।
आपां साक्सर होवैंला तत्काल॥
चालो पडबा नै.....॥(टेर)॥

ईं कळजुग मै च्यारो तरफां, भरस्टाचार पनपर्यो छै।
बना पडाई ईं दनियां मै, जीबो मुस्किल होर्यो छै॥
आखर साथी बुलावै म्हानै हाल, चालो पडबा नै।
आपां साक्सर होवैंला तत्काल, चालो.....॥(1)

पाटी-पोथी सगळी चीजां उण्डैई मिल जावैली।
आखर साथी बडा परेम सूं म्हानै खूब पडावैली॥
म्हारा गुरूजी! पूछैला सवाल, चालो पडबा नै।
आपां साक्सर होवैंला तत्काल, चालो.....॥(2)

पहली, दूजी, तीजी, पोथी, आंपा जल्दी सूं पड जावांला।
भारत देस मै फिर सूं, आखर ज्योती जगावांला॥
जनता साक्सर होवैली खुसहाल, चालो पडबा नै।
आपां साक्सर होवैंला तत्काल, चालो.....॥(3)

पड-लिख कर चालाक बणैलां, सूज-बूज अपणावांला।
रासण को सोदो ल्याबा मै, कदे नहीं ठगावांला॥
’पूरण’ देस होवैलो मालामाल, चालो पडबा नै।
आपां साक्सर होवैंला तत्काल, चालो.....॥(4)