हेली म्हारी हो जाये, भजन की लार ये।
बताद्‌यूं तन राम नगरी, राम नगरी, ये परेम नगरी॥(टेर)


हेली म्हारी उण्डै ये, सरवरया की पाळ आता तो दिखै दोईं जणा।
हेली म्हारी आगलो म्हारो जामण जायो बीर, पाछै को म्हारो स्याम धणी॥
हेली म्हारी हो जाये, भजन की लार ये, बताद्‌यूं तन राम नगरी……॥(1)


हेली म्हारी उण्डै ये, सरवरया की पाळ आवो छै एक, एक आवळी।
हेली म्हारी आवो तो फळै छै बारम्बार, आवळी जाण कसी ये घड़ी॥
हेली म्हारी हो जाये, भजन की लार ये, बताद्‌यूं तन राम नगरी……॥(2)


हेली म्हारी उण्डै ये, सरवरया की पाळ, बैठै तो एक नाव खड़ी।
हेली म्हारी धरमी-धरमी उतर्या पैली पार, पाप्यां की जळ मै डूब पड़ी॥
हेली म्हारी हो जाये, भजन की लार ये, बताद्‌यूं तन राम नगरी……॥(3)


हेली म्हारी भजन, होवे ये बारम्बार, सतसंग होवै एक घड़ी।
हेली म्हारी खैग्या-खैग्या दास कबीर, बेरागण हरि का नांव पै खड़ी॥
हेली म्हारी हो जाये, भजन की लार ये, बताद्‌यूं तन राम नगरी……॥(4)