म्हारा गुरुजी नै करदी महर भव सूं तारण की॥(टेर)


सतगुरु दाता भेद मिटाया, सेरी तो बताई सब सारण की॥
म्हारा गुरुजी नै करदी महर भव सूं तारण की……॥(1)


काम, करोद, मद लोब लुटेरा, जुगती बताई ज्यानै मारण की॥
म्हारा गुरुजी नै करदी महर भव सूं तारण की……॥(2)


मोह ममता ओर विसय वासना, सेन बताई इसे जारण की॥
म्हारा गुरुजी नै करदी महर भव सूं तारण की……॥(3)


आत्म ग्यान गुरुदेव बताया, राई तो बताई, बंधन काटण की॥
म्हारा गुरुजी नै करदी महर भव सूं तारण की……॥(4)


आनन्‍द कन्‍द मै डेरा दीन्या, इच्छा नहीं रै भव मै आवन की॥
म्हारा गुरुजी नै करदी महर भव सूं तारण की……॥(5)


ग्यानानन्‍द उपकार गुरु का, निसच्य किया तन मन पारण की॥
म्हारा गुरुजी नै करदी महर भव सूं तारण की……॥(6)