अचरज देख्यां भारी भाई सन्तां
अचरज देख्यां भारी भाई सन्तां, अचरज देख्यां भारी जी॥(टेर)
गगन बीच अमरत का कुवा कोई, भरिया सदां सुखकारी जी।
बंगला पुरुस चडै रै बिन सीडी, पीवै भर-भर झारी जी॥
अचरज देख्यां भारी भाई सन्तां, अचरज देख्यां……॥(1)
- आगै ओर पडो
- थाँकी राय द्यो
अबार की राय