अचरज देख्यां भारी भाई सन्तां

अचरज देख्यां भारी भाई सन्तां, अचरज देख्यां भारी जी॥(टेर)


गगन बीच अमरत का कुवा कोई, भरिया सदां सुखकारी जी।
बंगला पुरुस चडै रै बिन सीडी, पीवै भर-भर झारी जी॥
अचरज देख्यां भारी भाई सन्तां, अचरज देख्यां……॥(1)

थारा सतगुरु पाड़रिया हेला

थारा सतगुरु पाड़रिया हेला रै।
मन राम नै सुमरले गेला, मन म्हारा हरि नै सुमरले गेला॥(टेर)


एक डाळ दो पंछी बैठ्या कोण गुरु कुण चेला।
गुरुजी की करणी मै गुरु चल जासी, चेला की करणी चेला॥
थारा सतगुरु पाड़रिया हेला रै ……॥(1)

आवै नै जावै, मरै नहीं जनमै

आवै नै जावै, मरै नहीं जनमै।
नहीं धूप, नहीं छाया, कबीर म्हानै एसा अणघड़ ध्याया॥(टेर)


धरती नहीं ज्यां जनम धारिया, नीर नहीं ज्यां न्हाया।
दाई-मांई का काम नहीं छा, ना कोई गोद खिलाया॥
कबीर म्हानै एसा अणघड़ ध्याया……॥(1)

बाबुल ब्याव सगाई रहबा दै

बाबुल ब्याव सगाई रहबा दै।
छोटी-सी उमर मै मत परणावै।
म्हानै पडबा जाबा दै रै॥(टेर)


एक बरस मै करी सगाई, दूजा बरस मै फेरा।
आठ बरस मै गोणो कर दियो, कियाँ बारनै डेरा॥
छोटी-सी उमर मै मत परणावै……॥(1)

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