ढूँढाड़ी कबिता

घणो चोखो आपणो ढूंढाड़

घणो चोखो आपणो ढूंढाड़॥(टेर)


सगळा रवअ मल’र, बांटअ घणो प्यार।
काम करअ अपणो-अपणो, न करअ कोई पअ अत्याचार।
देख-देख हरसअ मन, अण्डअ का चोड़ा दरबार।
न मानअ तो देखल्यो, आपणा जेपर मंअ जार॥
घणो चोखो आपणो ढूंढाड़……॥(1)