घणो चोखो आपणो ढूंढाड़॥(टेर)
सगळा रवअ मल’र, बांटअ घणो प्यार।
काम करअ अपणो-अपणो, न करअ कोई पअ अत्याचार।
देख-देख हरसअ मन, अण्डअ का चोड़ा दरबार।
न मानअ तो देखल्यो, आपणा जेपर मंअ जार॥
घणो चोखो आपणो ढूंढाड़……॥(1)
लागअ चोखा मअल माळक्या, हवामअल झरोकादार।
न्यारी छ छटा किला की, मन करअ देखां बार-बार।
मन्तरी, सन्तरी बअठ्या छ, अण्डअ सजा अपणो दरबार।
जन्तर-मन्तर लागअ सुवावणो, चोड़ा-चोड़ा दुवार॥
घणो चोखो आपणो ढूंढाड़……॥(2)
म्हारो मन खुसी सूं भरजावअ, जद्यां करअ कोई ईंकी बात।
सारा आदमी खुसी सूं झुमंअ, जियां लागर्यो फसलां मंअ पाणी खात।
सारा जग मंअ यो घणो चोखो साफ, जियां काच की जात।
लागअ सुवावणी म्हारी बोली भासा, ईंकाई आवअ सपना सारी रात॥
घणो चोखो आपणो ढूंढाड़……॥(3)
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