ढूँढाड़ी भजन

गुरुजी नअ ध्यालअ रअ

गुरुजी नअ ध्यालअ रअ, थारा जनम-जनम का दुखड़ा मिटालअ रअ।
जनम-मरण का काट मोरछा, परित पुरबली पालअ रअ॥(टेर)


सतगुरु दाता बेद बण आया, करमारी नबज दखालअ रअ।
देख नबज समजकर दाता, करम नाड़ को चालअ रअ॥
गुरुजी नअ ध्यालअ रअ, थारा जनम-जनम का......॥(1)