पराणा जमाना की बात छै। एक गाँव मै एक घासी नाँव को आदमी छो। घासी की लुगाई को नाँव केसर छो। घासी सारै दन खेताँ मै काम करै छो अर केसर घराँ ढाण्डा-ढोराँ नै एरै-सेरै छी। घासी नतकई खेताँ पै सूँ मोड़ो घराँ आवै छो। ऊँ गाँव मै एक दन स्याम की टेम नरा जोर को करस आ जावै छै। जन्दाड़ै केसर कन माचिस मै एक ही सींक छी। ऊँसूँ भी वा चमनी जोले छै। घासी खेताँ पै सूँ आवै छै, तो ऊँनै छोरा-छोरी भूखाँ मरता रोता लादै छै। घासी ऊँकी लुगाई नै बोल्यो कै, ये छोरा-छोरी क्यूँ रोर्या छै? केसर बोली, अजी चूलो काँई सूँ बाळू? माचिस मै एक ही सींक छी जिसूँ भी म्ह चमनी जोली। पैल्याँ का आदमी अतराई भोळा छा। घासी मन मै सोच्यो, आज तो नरा जोर को करस आर्यो छै अब रात मै दुकान पै भी न जा सकूँ। अब वानै चमनी सूँ चूलो बाळबा को ग्यान कुण दे?
सगळा घरका भूखाँ मरता एक ठोर पैई पाल बछार बैठ जावै छै। वै सारा घरका सारी रात बास्याँ मरता मर्या। सुवाँरई करस डट्यो जद्याँ घासी कै घराँ गाँव को पटेल बाबो आयो। घासी का छोरा-छोरी भूखाँ मरता रोर्या छा। वानै देखर पटेल बाबो घासी नै बोल्यो कै, ये छोरा-छोरी क्यूँ रोर्या छै? घासी खियो कै ये छोरा-छोरी तो भूखाँ मरता रोर्या छै। पटेल बाबो बोल्यो, काँई बात हैगी? घासी बोल्यो, म्हानै सारी रात हैगी भूखाँ मरता म्हे चूलो काँई सूँ बाळता। म्हाँकन माचिस ई कोन छी? पटेल बाबो घासी का घर ओड़ी झाँक्यो तो घर कै माँईनै चमनी जुपरी छी। पटेल बाबो बोल्यो, अरै बावळ्या घासी ईं चमनी सूँ चूलो बाळ लेतो नै। घासी बोल्यो, म्हानै तो पतो ई कोन छो कै चमनी सूँ भी चूलो बळै छै। पाछै ईं बात नै सुणर गाँव का आदमी घासी की घणी मजाक कर्या।
सीख:- सोच समझर काम करो।
- थाँकी राय द्यो