एक बार एक पाळती छो। ऊँकै च्यार छोरा छा। वै नतकई लड़ता रह छा। वाँको बाप वानै घणो समझावै छो, पण वै लड़ता कोन मानै छा। थोड़ा दना पाछै पाळती बेमार पड़ग्यो। वो ऊँका छोराँ नै बलायो अर वानै एक लकड़्याँ को भारो दियो। वो पाळती वानै वो भारो तोड़बा बेई खियो। कोई भी ऊँ भारा नै तोड़ न सक्यो। अब पाळती ऊँ भारा नै खुलवायो अर ऊँकी लकड़्याँ नै तोड़बा बेई खियो। अबकी बार वै पाळती का छोरा घणा बेगा लकड़्याँ नै तोड़ दिया। अब पाळती ऊँका छोरा नै खियो कै अगर थे ईं लकड़्याँ का भारा की जियाँ रहला तो थानै कोई भी कोन हरा सकै अर थे अस्याँई लड़ता रिया तो कोई भी थाँमै फूट पटकर फायदो उठा सकै छै।
सीख :- संगठन मै सक्ति है छै।
- थाँकी राय द्यो