एक बार बीरबल, अकबर नै खियो, बादस्याजी थे बतावो कै, परजा मै कतरा आदमी लुगाई सूँ डरपै कोनै? अकबर ईं बात को जुवाब कियाँ बतावै? बीरबल खियो, थे परजा मै या एलान करद्यो कै, जे भी आदमी लुगाई सूँ डरपै कोनै, वो तड़कै एक मुरगो बीरबल नै ल्यार देलो। अकबर ईं बात को परजा मै एलान करवा दियो। गाँव का सब आदमी एक-एक मुरगो बीरबल नै दे दिया। राजा कै दो राण्याँ छी पण वो एक भी मुरगो कोन दियो। अब राजा सूँ दो मुरगा लेबा की दम कुण मै छै। बीरबल की मजाक करबा की आदत पड़ेड़ी छी। वो राजा नै खियो, बादस्याजी काल मै एक छोरी देख्यो छो। वा घणी सुवावणी छी। वा थाँका दरबार मै चोखी लागैली, थे ऊँसूँ ब्याव करल्यो। राजो ईं बात नै सुणर रोसाँ हैग्यो अर खियो, म्हारै तो एक नहीं दो-दो राण्याँ छै। पाछै बीरबल खियो कै, फेर तो थानै भी दो मुरगा देणा पड़ैला। ईं बात नै खुल्याँ पाछै राजा नै भी दो मुरगा देणा पड़्या।
सीख :- अकल बडी है छै।
- थाँकी राय द्यो