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अंकुस लगाबो। अर्थ:- रोक लगाना। वाक्य में प्रयोग :- बनवारी कोट मै जार मदन का काम कै अंकुस लगा दियो। |
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अर्थ:- थकावट से शरीर में दर्द होना। वाक्य में प्रयोग :- काल जगदीस सारै दन डोळी दियो जिसूँ, आज तो ऊँका अंग-अंग ही टूटर्या छै। |
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अंग-अंग ढीला हैबो। अर्थ:- बहुत थक जाना। वाक्य में प्रयोग :- बनात मै मोटा-मोटा भाटा पटकबा सूँ, म्हारा तो अंग-अंग ही ढीला हैग्या। |
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अंग-अंग राजी हैबो। अर्थ:- बहुत प्रसन्न होना। वाक्य में प्रयोग :- राजाराम की नोकरी लागबा सूँ ऊँका दादा का अंग-अंग ही राजी हैग्या। |
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अन्देरा घर को उजाळो हैबो। अर्थ:- इकलौती सन्तान। वाक्य में प्रयोग :- सोपाल कै बुडापा मै जातोर अन्देरा घर को उजाळो हियो छै। |
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अपणी-अपणी खिचड़ी पकाबो। अर्थ:- अलग-थलग रहना, किसी के सुख-दुःख में सहभागी न होना। वाक्य में प्रयोग :- कपिल अर बिजेन्दर जेपर मै, अपणी-अपणी खिचड़ी पकावै छै। |
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आँख को काँटो हैबो। अर्थ:- बुरा लगना। वाक्य में प्रयोग :- कसोर खरी बात खहबा मैर, वो सगळाँ की आँख्याँ को काँटो हैग्यो। |
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आँख्याँ खुलबो। अर्थ:- सचेत होना। वाक्य में प्रयोग :- पहलाद का सारा धन नै, ऊँका भाई हड़प लिया, जद जातीर ऊँकी आँख्याँ खुली छै। |
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ईद को चाँद हैबो। अर्थ:- बहुत दिनों बाद दिखाई देना। वाक्य में प्रयोग :- आज-काल तो गोकल ईद को चाँद ई हैग्यो। |
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ऊँळी-सूँळी करबो। अर्थ:- चुगली करना। वाक्य में प्रयोग :- छोगाराम की लुगाई दोराणी की ऊँळी-सूँळी करती फरै छै। |
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उडती चड़ी नै पचाणबो। अर्थ:- मन की या रहस्य की बात तुरंत जानना। वाक्य में प्रयोग :- जगदीस नै कोई भी धोखो न दे सकै, वो उडती चड़ी नै पचाण लै छै। |
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एक आँख सूँ देखबो। अर्थ:- सबके साथ एक जैसा व्यवहार करना। वाक्य में प्रयोग :- माड़साब इसकूल मै सगळा छोरा-छोर्यां नै एक आँख सूँ देखै छै। |
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एडी सूँ चोटी तक को जोर लगाबो। अर्थ:- खूब परिश्रम करना। वाक्य में प्रयोग :- गीता दसवीं मै पास हैबा बेई एडी सूँ चोटी तक को जोर लगादी। |
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ओखळी मै माथो देबो। अर्थ:- जान-बूझकर परेशानी में फँसना। वाक्य में प्रयोग :- मनोज पुलिसाळा सूँ लड़र ओखळी मै माथो दे दियो। |
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ओराई ल्याबो। अर्थ:- बुराई लेकर आना। वाक्य में प्रयोग :- दयाराम नतकई दनियाँ की ओराई लेर आवै छै। |
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कोतकाँ को घर हैबो। अर्थ:- लड़ाई-झगड़ा या शैतानी ताकत का होना। वाक्य में प्रयोग :- रघुनाथ तो याँ सब छोराँ मै, कोतकाँ को घर छै। |
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खण्ड-खण्ड को पाणी पीबो। अर्थ:- हर प्रकार का अनुभव होना। वाक्य में प्रयोग :- जगदेव खण्ड-खण्ड को पाणी पीयेड़ो छै, वो ठगबा मै कोन आवै। |
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गोळ मेळ करबो। अर्थ:- गड़बड़ करना। वाक्य में प्रयोग :- कालूराम, सेठ का सारा स्याब नै, गोळ मेळ कर दियो। |
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घर खोखो हैबो। अर्थ:- बहुत गरीब होना। वाक्य में प्रयोग :- नतकई दारू पीबा सूँ सुरेस को घर खोखो हैग्यो। |
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अर्थ:- किसी और का दोष दूसरे पर थोपना। वाक्य में प्रयोग :- तारा, घरका धणी की लड़ाई मै छोरा-छोर्यां नै कूटर चूला का रोस परिण्डा पै काडली। |
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च्यार चाँद लगाबो। अर्थ:- शोभा बढ़ाना। वाक्य में प्रयोग :- मीरा ऊँका देवर का ब्याव मै गळा मै हार पैरर च्यार चाँद लगा दी। |
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छाती पै भाटो धरबो। अर्थ:- कठोर ह्रदय करना। वाक्य में प्रयोग :- सोपाल को दादो मर्यो जद्याँ, वो छाती पै भाटो धर लियो छो। |
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छाती पै मूँग दळबो। अर्थ:- किसी को कष्ट देना। वाक्य में प्रयोग :- सोजी की लुगाई तो सगळा घरकाँ की छाती पै मूँग दळै छै। |
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जूता चाटबो। अर्थ:- चापलूसी करना। वाक्य में प्रयोग :- छोगाराम ऊँका दादा का नुक्ता मै पाँचू नै मनाबा कै तोड़ी ऊँका घणा जूता चाट्यो छो। |
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ज्यान पै खेलबो। अर्थ:- साहसपूर्ण कार्य करना। वाक्य में प्रयोग :- पहलाद कुस्ती करबा मै ज्यान पैई खेलै छै। |
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झक मारबो। अर्थ:- विवश करना। वाक्य में प्रयोग :- हीरालाल की गाडी पंचर हैगी, ऊँनै झक मारर पाळो जाणो पड़्यो। |
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ठोकर खाबो। अर्थ:- हानि उठाना। वाक्य में प्रयोग :- राजाराम, बचोल्या का चक्कर मै आर पडेड़ी छोरी नै अणपड छोरा कै पण्णार ठोकर खाग्यो। |
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डकार जाबो। अर्थ:- हड़प लेना। वाक्य में प्रयोग :- छीतर कै जमी नांव न हैबा मैर ऊँको बडो भाई, ऊँकी सारी जमी नै डकारग्यो। |
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तुलबाळी बात खैबो। अर्थ:- उचित न्याय करना। वाक्य में प्रयोग :- मदन गाँव की पंचायत मै तुलबाळी बात खै दियो। |
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तेल नखाळबो। अर्थ:- खूब कसकर काम लेना। वाक्य में प्रयोग :- घासीराम छत भरबा मै सारा बेलदाराँ को तेल नखाळ दियो। |
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थूँक लगार तल बीणबो। अर्थ:- बहुत गरीब होना। वाक्य में प्रयोग :- गल्लू की लुगाई बेमार हैगी, वो तो पैली ई थूँक लगार तल बीणर्यो छो। |
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दो बसवा परेम हैबो। अर्थ:- मधुर सम्बन्ध होना। वाक्य में प्रयोग :- करसण अर लछमण कै बाळपणा सूँईं दो बसवा परेम छो। |
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धण्ण ठकाणै लागबो। अर्थ:- बर्बाद होना। वाक्य में प्रयोग :- मुरारी की एक छोरी को ब्याव करबा मैईं धण्ण ठकाणै लाग्गी। |
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धाक जमाबो। अर्थ:- रोब जमाना। वाक्य में प्रयोग :- हरजी सरपंच बणबा मैर सारा गाँव मै धाक जमा लियो। |
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नीत बगाड़बो। अर्थ:- बेईमानी करना। वाक्य में प्रयोग :- गोपाल न्यारो हियो जद्याँ, ऊँका भाई सूँ छोटी-सी चीज पैई नीत बगाड़ लियो छो। |
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पगाँ पड़बो। अर्थ:- क्षमा याचना करना। वाक्य में प्रयोग :- लालाराम ऊँका दादा का नुक्ता मै बलाबा बेई, नन्दलाल कै पगाँ पड़ग्यो छो। |
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फूँक-फूँकर पग मेलबो अर्थ:- सावधानी पूर्वक कार्य करना। वाक्य में प्रयोग :- परभात की गांव मै बदनामी हैबा मैर अब वो फूँक-फूँकर पग मेलै छै। |
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बट्टो लागबो। अर्थ:- कलंकित होना। वाक्य में प्रयोग :- छोगाराम को छोरो, ऊँका गाँव की छोरी नै लेर भागबा मैर ऊँका परिवार कै बट्टो लागग्यो। |
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भण्डाफोड़ हैबो। अर्थ:- भेद खुल जाना। वाक्य में प्रयोग :- जरा-सी खिया-सुणी पैई जगदीस की रामू भण्डाफोड़ कर दियो। |
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भर-भर मूण्डार आबो। अर्थ:- आमदनी से अत्यधिक खर्च करना। वाक्य में प्रयोग :- रामू की लुगाई कै तो भर-भर मूण्डार आरी छै, नतकई बजार मै सूँ लत्ता मोल लेर आवै छै। |
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मन की मन मै रैबो। अर्थ:- इच्छा पूरी न होना। वाक्य में प्रयोग :- पीसा न हैबा मैर गोपाल कै तो दुवाळी पै गाडी ल्याबा की मन की मन मैईं रहगी। |
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राई को डूँगर बणाबो। अर्थ:- बात का बतंगड़ बनाना। वाक्य में प्रयोग :- रामफूल की लुगाई तो जरा-सी बात नै राई को डूँगर बणा दी। |
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रात-दन एक करबो। अर्थ:- निरन्तर कठिन परिश्रम करना। वाक्य में प्रयोग :- मनोज नोकरी लागबा बेई रात-दन एक कर दियो छो। |
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लाल-पीळो हैबो। अर्थ:- क्रोधित होना। वाक्य में प्रयोग :- राजकुमार तो जरा-सी गलती मैईं लुगाई पै लाल-पीळो हैग्यो। |
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सोड़ कै बारै पग पसारबो। अर्थ:- आमदनी से अधिक खर्च करना। वाक्य में प्रयोग :- कजोड़ मकान बणाबा मै, ऊँकी सोड़ सूँ भी बारै पग पसार दियो। |
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सोना की चड़ी हाथ सूँ नखळबो। अर्थ:- लाभपूर्ण वस्तु से वंचित रहना। वाक्य में प्रयोग :- रामलाल ऊँका छोरा बेई नोकरी आळी बू ल्यातो पण ऊँ छोरी की सगाई दूसरी जगाँ हैबा मैर सोना की चड़ी हाथ सूँ नखळगी। |
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हैंकड़ी नखाळबो। अर्थ:- अभिमान चूर करना। वाक्य में प्रयोग :- रामोतार कबड्डी खेलबा मै रामनाथ की सारी हैंकड़ी नखाळ दियो। |
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हजामत बान्दबो। अर्थ:- पीटना। वाक्य में प्रयोग :- गुल्लाराम की गाई सुरेस का खेत मै उजाड़ करबा सूं वो सुरेस की हजामत बान्द दियो। |
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हाँसी को ख्याल समजबो। अर्थ:- साधारण काम समझना। वाक्य में प्रयोग :- डोळी देबो तो हंसराज हाँसी को ख्याल समजै छै। |
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हाथ-धो बैठबो। अर्थ:- खो देना। वाक्य में प्रयोग :- गंगाराम की ब्यावण भैंस पाणी मै डूबर मरबा मैर, वो भैंस सूँ हात-धो बैठ्यो। |
अबार की राय