डोकरा नै गेला मै पटक्यायो

एक बार एक मदन नांव को आदमी छो। ऊँको बाप बेमार छो। वो घाडो बेमार हैर मरग्यो। मदन को बायेलो रामू छो। वो रामू नै खियो, “कै मन तो बारा दन तक सराव कोनै अर तू म्हारा बाप नै गंगाजी मै पटक्या।” मदन, रामू नै करायो-भाड़ो देर गंगाजी खन्दा दियो। रामू गंगाजी तो गियो कोनै अर मदन का ब

पेट मै भूचर्या

एक बार एक राजो छो। वो राजो स्याळा का दना मै रजायां भरवाबा की सोच्यो। वो ऊँका एक सन्तरी नै खियो कै, पन्दारा नै बलार ल्या। सन्तरी गियो अर पन्दारा नै बला ल्यायो। राजो खियो कै, “भाई आपणै दस-पन्दरा रजायां भराणी छै। तू थारा ओजार लियाज्यो अर अण्डैई आजाज्यो।” पन्दारो घरां जार अ

समुदर खारो कियां छै

नरा दना पैली की बात छै। एक गांव मै दो भाई छा। बडो भाई घणो भागवान अर छोटो घणो गरीब छो। बडा भाई कै कांई भी कमी कोन छी अर छोटा कन खाबा बेई दाणा भी कोन छा। दुवाळी को दन छो। बडा भाई का छोरा-छोरी फटाका छुडार्या छा। सारा गांव मै खुसी छारी छी। न्यारा-न्यारा पकवान बणार्या छा। पण

501 रफ्या देर बता

एक बार एक मांग-खाणो छो। वो मांगबा को काम करै छो। एक दन वो मांगतो-मांगतो एक रैलगाडी का टेसण पै चलग्यो। अब वो आरकसण आळा डब्बा मै बड़ग्यो। वो उण्डै मांगर्यो छो तो, एक जणो ऊँनै बोल्यो, “कै भाई चोखा हाथ-पग दे मेल्यो छै भगवान अर फेर भी तू भीख मांगर्यो छै। सरम नै आवै कै तन।” म

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