एक बार एक मांग-खाणो छो। वो मांगबा को काम करै छो। एक दन वो मांगतो-मांगतो एक रैलगाडी का टेसण पै चलग्यो। अब वो आरकसण आळा डब्बा मै बड़ग्यो। वो उण्डै मांगर्यो छो तो, एक जणो ऊँनै बोल्यो, “कै भाई चोखा हाथ-पग दे मेल्यो छै भगवान अर फेर भी तू भीख मांगर्यो छै। सरम नै आवै कै तन।” मांग-खाणो बोल्यो कै, “भाई यो म्हारो काम छै अर अब तू चुप रै।” वो आदमी उठर ऊँ मांग-खाणा का गाल पै एक थप्पड़ देफाड़्यो।
अब मांग-खाणो बोल्यो “म्हारै कियां दियो रै?” वो आदमी एक ओर थप्पड़ देफाड़्यो अर बोल्यो इंयां दियो। अब मांग-खाणो बोल्यो, “थारा बाप को छै तो, अबकै देर बता?” वो आदमी एक ओर थप्पड़ देफाड़्यो। अब मांग-खाणो बोल्यो, “थारा बाप को छै तो, अबकै ओर देर बता?” वो आदमी एक थप्पड़ ओर देफाड़्यो। अब मांग-खाणो बोल्यो, “थारा बाप को छै तो, 501 रफ्या देर बता?” ऊँ आदमी नै 501 रफ्या देणा पड़्या। मांग-खाणो 501 रफ्या नै लेर घरां आर आणद सूं रियो।
सीख: कद्यां कोई को बरो नै सोचणो चाईजे।
- थाँकी राय द्यो