भूगोल का स्याब सूँ ढूँढाड़ :-
भूगोल का स्याब सूँ ढूँढाड़ 25 डिगरी 41’ सूँ 26 डिगरी 24’ उतरी अकसांस अर 74 डिगरी 55’ सूँ 76 डिगरी 50’ तक छै। ढूँढाड़ को जाऊ जादा कोनै पण फेर भी यो सारा जगत मै मसूर छै। ढूँढाड़ जाऊ को फहलाव लमसम 15,50,079 वर्गमील 40349 वर्ग किलोमीटर को छै अर समुदर तल सूं ईंकी ऊँचाई 432 मीटर यानी लमसम 1417 फुट छै। यो जाऊ रास्तान की पूरब दसा कै बीच मै छै। यो जेपर, टूँक, दोसा अर अजमेर का थोड़ा-साक भाग मै फैल मेल्यो छै। यो जाऊ अरावली की डूँगर्यां सूँ ढकेड़ो छै। ईं जाऊ मै ढूँढ नन्दी का बहबा सूँ, ईं भाग नै ढूँढाड़ खेवै छै। ईंमै ढूँढ नन्दी कै साथ-साथ बनास, बाणगंगा, मोरेल, मासी, साबी, साक, डाई अर बाँडी नन्द्याँ भी बैवै छै। अण्डै नरा सारा बंधा भी छै, जस्यान जमुवारामगढ, बीसलपुर, मासी, गोळीराव आदी, याँमै सूँ बीसलपुर बंधा सूँ अजमेर, टूँक अर जेपर जिला कै पीबा बेई पाणी मलै छै।
अण्डै पाणी को घणो काळ छै। जमी मै पाणी लमसम 100 फुट उण्डो छै। लोग-बाग जादातर कुआ-कोठी अर तळाव का पाणी सूँ खेती करै छै। अण्डै का पाणी मै नरी सारी फ्लोराईड हैबा सूँ लुगाई-मोट्याराँ का हाथ-पग रैज्या छै।
जलवायु :-
ढूँढाड़ जाऊ मै पाणी कम हैबा सूँ अण्डै की जलवायु मै नमी कम रैवै छै। जादातर मोसम साफ रैवै छै। पेड-पोदा कै पन्ता थोड़ा रैवै छै ज्यानै उस्ण कटिबंधीय खेवै छै।
बरखाँ को मोसम :- लमसम उतरता जेठ सूँ चालू हैवै छै अर उतरता भादवा तक रैवै छै। पूरा साल भर मै बरखाँ को ओसत 40 सूँ 80 सेमी 650 मिलीमीटर 26’ तक रैवै छै। बरखाँ की टेम पै कद्याँ-कद्याँ बादळा कड़कर बीजळी चमकबा कै साथ-साथ घणी जोर की बरखाँ भी आवै छै, जिसूँ कद्याँ-कद्याँ बाढ भी आज्या छै।
गरमी :- लागता चैत (अपरेल) सूँ साड (जुलाई) तक रैवै छै। गरमी मै तापमान (तावड़ो) 30 डिगरी सूँ 48 डिगरी तक रैवै छै। गरमी मै आँदी भी आवै छै। उन्दाळा मै आँदी कै साथ-साथ बरबूँळ्या भी आवै छै। गरमी मै ताती भाळ चालै छै जिनै लू खेवै छै।
स्याळो :- लागती काती (नवम्बर) सूँ चालू हैवै छै अर लागता फागण (फरवरी-मारच) तक रैवै छै। यो सबसूँ चोखो मोसम छै। ईं मोसम मै तापमान 12 सूं 18 डगरी रैवै छै। स्याळा मै कद्याँ-कद्याँ बरखाँ भी आवै छै। ईं बरखाँ नै मावठ भी खेवै छै। या बरखाँ खेती की उपज को सोनो छै। ईं इलाका मै नमी कम रैवै छै। दूसरी जगाँ बरफ पड़बा सूँ सीळी बाळ चालै छै। भराँ-भर स्याळा मै तापमान 4 डिगरी तक आज्या छै।
सिक्सा :-
ढूँढाड़ मै लमसम एक करोड़ ग्यारा लाख लोग रैवै छै। याँमै सूँ 65 परतिसत लुगाई-मोट्यार गाँवां मै रैवै छै। पूरा ढूँढाड़ मै हर जगाँ पै इसकूलाँ छै। लोग बारै सूँ भी अण्डै आर पडै छै। अण्डै का सगळा लुगाई-मोट्याराँ का 63.50 परतिसत पड्या-लिख्या छै। गाँव मै आज का सगळा छोर-छापरा तो पड्या-लिख्या छै, पण बडा-बूडा मोट्यार अर लुगायाँ आज भी अणपड छै।
इतियास :-
ढूँढाड़ पराणा जमाना सूँईं धनी परदेस छै। ढूँढाड़ रास्तान की राजदानी छै, ईंमै न्यारी-न्यारी सेल्याँ मलेड़ी छै। ईंको दूसरो नाँव गुलाबी नगरी छै। अण्डै घणा राजा राज करै छा। सिकंदरा का हमला की टेम पै कछवा राजपूत गुवालियर अर नरवर का जंगळां मै सूँ आर जेपर कै खनै रहबा लागग्या। कछवा बंस को राजो दुलेराय अण्डै का बडगुजराँ नै हरा दियो अर 1137 ई. मै ढूँढाड़ मै निया कछवा बंस को राज्य बणा दियो। ईं बंस को कोकिलदेव 1207 ई. मै मीणा नै हरार आमेर पै अपणो हक जमा लियो अर आमेर नै अपणी राजदानी बणा लियो। इंयान ढूँढाड़ राज्य नै बसाबाळो दुलेराय 1137 ई. अर आमेर नै बसाबाळो कोकिलदेव 1207 ई. छो।
कछवा सासक परतवीराज नै मर्यां पाछै आमेर की दसा खराब हैगी। 1527 ई. सूँ 1548 ई. तक आमेर मै चोखो सासन न करबा कै कारण घर मै कळेस सोक बण्यो रियो। 1527 ई. सूँ 1533 ई. तक परतवीराज को छोटो बेटो पूरण मल आमेर को राजो बण्यो। ईं घर कळेस को फायदो परतवीराज को भाई सांगो उठा लियो अर राव जेतसी कै साथ मलर सांगानेर बसा लियो।
ढूँढाड़ी :-
'ढूँढाड़ी' जेपर का उत्तर दसा नै छोडर जेपर, किसनगढ, टूँक, लावा, दोसा अर अजमेर-मेरवाड़ा की पूरब दसा का आँचळ मै बोलै छै। ढूँढाड़ी मै मारवाड़ी अर बरजभासा को परभाव छै। ढूँढाड़ी, भासा-बिग्यान का स्याब सूँ सबसूँ चोखी छै। ढूँढाड़ी रास्तान मै बोलबाळी सगळी भासा की बीचली ठोर छै अर या (ढूँढाड़ी) रास्तान मै सबसूँ जादा बोली जावै छै। ढूँढाड़ी को इतियास घणो पराणो छै।
ढूँढाड़ी मै गद्य-पद्य दोन्याँ मै नरो साइत्य लिखेड़ो छै। संत दादू अर वाँका चेला ईंमै (ढूँढाड़ी) साइत्य लिखेड़ा छै। ढूँढाड़ी कै जेपुरी या झाड़साई भी खवै छै। ईंको बोली का रूप मै पराणो उल्लेख 18 वीं सदी की आठ देस गुजरी मै हियोड़ो छै। ढूँढाड़ी की उपबोल्याँ भी छै जस्यान राजावाटी, चेरासी साहपुरा, नागरचोल, किसनगढी अर काठेड़ी। ढूँढाड़ी नै पराणा जमाना सूँईं बचाबा की कोसिस करर्या छै। ढूँढाड़ी संस्करति नै लम्बा टेम तक राँखबा बेई ईंको बचाव घणो जरूरी छै।
रहण-सहण अर पहराण :-
पहराण मनखाँ की जन्दगी को खास भाग छै। कसी भी जगाँ मै रैबाळा लोगाँ की रहण-सहण अर पहराण, जीवन, रीति-रिवाज वाँकी भूगोल की दसा पै रैवै छै। ढूँढाड़ का लोगाँ को रहण-सहण सादा छै। मोट्यार धोकती-कुड़तो अर माथा पै फाँटो बान्दै छै। लुगायाँ घागरो, लूगड़ी, काँचळी, कब्जो अर साड़ी पैरै छै। जादातर परिवार मलर रैवै छै। आजकाल का छोरा-छापरा पडाई करबा कै तोड़ी परिवार सूँ न्यारा रहबा लागग्या।
ढूँढाड़ का लुगाई-मोट्यार को जीवन सादा अर ऊँचा बच्यार को छै।
तुँवार अर मेळा :-
ढूँढाड़ का लोग सारा तुँवार मानै छै। जस्यान- होळी, दुळण्डी, धनतेरस, दुवाळी, भाई-दोज, राखी, आखा-तीज, जल-झूलणी-ग्यारस, देव-सोवणी-ग्यारस, हरियाळी-माँवस, गुरु-पून्यूँ, नोरता, सकराँत, सीळ-आठै, जनम-आठै, गणगोर, सोरती, देव-उठणी-ग्यारस सगळा तुँवार मनावै छै।
ढूँढाड़ मै नरा मेळा भी भरै छै, जस्यान- चाड़सू मै सीळ माता को (चैत की करसण पक्स की आठै नै) मेळो, जेपर मै तीज को मेळो, डग्गी मालपरा मै कल्याणजी को मेळो, तामड़्या मै भैरूंजी को मेळो, चनाणी माता को मेळो, रूपाड़ी मै मनसा माता को मेळो, नईनाथ को मेळो, पपळाज माता को मेळो, रायसर मै बाँकी माता मेळो, जोबनेर मै जुवाला माता मेळो, गोनेर मै जगदीसजी को मेळो अर जोदपर्या मै देवजी को मेळो। याँकै साथ-साथ बळदाँ को मेळो पीपळू, चाड़सू, बंथळी अर गधा को मेळो लुण्यास अर गोनेर मै भरै छै। ये सारा मेळा सगळा ढूँढाड़ मै जाण्या जावै छै।
देखबा की जगां (दरसणीय इसथल) :-
सारा रास्तान मै देखबा की घणी जगाँ छै अर ढूँढाड़ तो ईंकी बीचली ठोर छै। यो सारा जगत मै मसूर छै। अण्डै देखबा की नरी जगाँ छै जियान-गळताजी, आमेर को किलो, सीटी पेलेस, गेटोर की छतर्यां, नारगढ को किलो, अलबर्ट होल, जन्तर-मन्तर, सिसोदिया बाग, हवा महल, चोखी ढाणी, चन्दर महल, सीळमाता, सीस महल, सरगासूळी, सूदरसनगढ, सीलामाता मन्दर, बिड़ला मन्दर, गणेश मन्दर मोती डूँगर्यां, जयबाण तोब, नुवाई का कुण्ड, डग्गी मै कल्याण जी को मन्दर, रामनिवास बाग, बादळ-महल, गोनेर को लछमी-जगदीस मन्दर, टाटा नगरी रेड़, हाती-भाटो, राजमहल, सुनहरी कोठी, बंथळी विद्यापीठ, बिसलदेव मन्दर, नगरपोर्ट व कसरे-ईल्म अरबी-फारसी सोद संस्था ये सगळा।
खेती-बाड़ी :-
ढूँढाड़ खेती-बाड़ी का स्याब सूँ भी भागवान छै पण जादातर खेती बरखाँ सूँईं हैवै छै। अण्डै दो ही मोसम मै साख-बाड़ी हैवै छै। बरखाँ का मोसम मै स्याळू (स्याळा) की फसलाँ- मूफळ्याँ, गुंवार, तल, बाजरो, जुवार, चूँळा, मूँग, उड़द, मोठ, मक्का ये सगळी अर स्याळा का मोसम मै उन्दाळू (रबी) की फसलाँ मै- गंऊँ, जो, चणा, सरस्यूँ, पापड़ो, सूँप, अळसी, कान्दा, मेथी ये सगळी फसलाँ पाणी पाबा सूँईं पैदा हैवै छै। ईंकै सागै-सागै ई नन्द्याँ अर तळावाँ का पेटा मै लोग काकड़्याँ, खरबूजा, तरबूज, टीण्डस्याँ, भिण्ड्याँ, बैंगण, करेला, आलड़ी ये सगळी फसलाँ भी बावै छै।
ढूँढाड़ का लोगाँ को रोजिना को जीवन :-
ढूँढाड़ का लुगाई-मोट्यार निराला छै। गाँव मै लोग-बाग सुँवारई च्यार-पाँच बज्याँ की उठै छै। उठर नमटा-धोई करर आवै छै। ऊँकै पाछै ढाण्डा-ढोराँ नै चारो नाखर वाँका पोट्टा पटकै छै, फेर धार काडै छै। आजकाल का जमाना का स्याब सूं चलण मै आयेड़ी चाई पीवै छै।
न्हाया-धोई करर मोसम का स्याब सूं बणायेड़ी रोटी जस्यान-बाजरो, जुवार, मक्का, गंउं या फेर जो की रोटी खावै छै। पाळती सुंवांरई बेगाई हळ-कूळी जोर या फेर ननाणी, लावणी की टेम पै लुगाई-मोट्यार खेतां पै चलज्या छै अर घर को काम करबाळी लुगायां घरां को सारो काम नमटार पाळती/हाळी को कलेवो लेर खेत पै जावै छै। गांव का लोग खेती को काम करबा सूं तीन टेम रोटी खावै छै अर वै दो टेम की रोटी सुंवांरई खुद कै साथ लेर जावै छै।
सारै दन खेत मै काम कर्यां पाछै वै लमसम पांच बज्यां घरां आवै छै। आदमी तो ढाण्डा-ढोरां नै पाणी पार, धार-धुवाली काडै छै। ढाण्डा बेई ठाण या ढोकला मै चारो घालर वानै चारा कै बान्दै छै अर लुगायां घर को काम जियां पाणी-परिण्डो (पळिण्डो) अर साग-रोटी करै छै। स्याम की सगळा मलर रोटी खार 8 बज्यां तक सब सोज्या छै।
सार
ढूँढाड़ी जाऊ रास्तान की पूरब दसा कै बीच मै पड़बाळा इलाका मै छै। ढूँढाड़ी समुदाय रास्तान का तीन जिला मै फैलेड़ो छै, जस्यान- जेपर, दोसा अर टूँक। ढूँढाड़ी इलाका नै लेर नरा जणा मै आज भी एकमत कोनै। जाणकारी का स्याब सूँ यो नाँव जोबनेर कै साँकड़ै ढूँढ या ढूँढ आकरती परबत सूँ लियोड़ो छै। दूसरा लोगाँ का स्याब सूँईं ढूँढाड़ को नाँव ईं इलाका मै बहबाळी नन्दी ढूँढ का नाँव पै पड़ेड़ो छै। ईं परदेस की जलवायु कम नमी उप-आद्र छै ज्यो ईं इलाका का स्याब सूँ सबसूँ बडिया छै। दूसरा लोगाँ का स्याब सूँईं ढूँढाड़ को नाँव ईं इलाका मै बहबाळी नन्दी ढूँढ का नाँव पै पड़ेड़ो छै। उन्दाळा मै तापमान 30 सूँ 45 डिगरी तक पूँछ ज्या छै। ईं टेम तो तावड़ा नै सहन करबो मुसकल छै। मानसून बरखाँ को मोसम लमसम उतरता जेठ सूँ चालू हैवै छै अर उतरता भादवा तक रैवै छै। स्याळो लागती काती नवम्बर सूँ चालू हैवै छै अर लागता फागण फरवरी-मारच तक रैवै छै। यो सबसूँ चोखो मोसम छै। ईं मोसम मै तापमान 12 सूँ 18 डिगरी रैवै छै। स्याळा मै कद्याँ-कद्याँ बरखाँ भी आवै छै। ईं बरखाँ नै मावठ खेवै छै। या बरखाँ खेती की उपज को सोनो छै।
ढूँढाड़ी समुदाय का लोग घास-फूस अर गार का घराँ मै रैवै छै। ईं इलाका का स्याब सूँ ये घर सबसूँ चोखा छै। ये स्याळा मै ताता अर उन्दाळा मै सीळा रैवै छै। उन्दाळा मै आन्दी-बरबूँळ्या आबा सूँ याँ घराँ मै नुकसाण भी हैज्या छै।
जादातर लोग खेती-बाड़ी सूँ अपणो जीवन चलावै छै। ये न्यारी-न्यारी खेती करै छै। बरखाँ का मोसम मै स्याळू की फसलाँ मै- मूफळ्याँ, गुंवार, तल, बाजरो, जुवार, चूँळा, मूँग, उड़द, मोठ, मक्का ये सगळी अर स्याळा का मोसम मै उन्दाळू (रबी) की फसलाँ मै- गऊँ, जो, चणा, सरस्यूँ, पापड़ो, सूँप, अळसी, कान्दा, मेथी ये सगळी फसलाँ पाणी पाबा सूँईं पैदा हैवै छै। ईंकै सागै- सागै ईं नन्द्याँ अर तळावाँ का पेटा मै लोग कांकड़्याँ खरबूजा, तरबूज, टीण्डस्याँ, भिण्ड्याँ, बैंगण, करेला, आलड़ी ये सगळी फसलाँ भी बावै छै।
रास्तान का लोग भारत का लोगाँ मै सबसूँ रंगीन मजाज का छै। रहण-सहण अर पोसाक घणी रंग-बरंगी छै। कपड़ा वाँका जीवन का खास भाग छै। ढूँढाड़ का लोगाँ की रहण-सहण सादा छै। मोट्यार धोकती-कुड़तो अर माथा पै फाँटो बान्दै छै। लुगायाँ घागरो, लूगड़ी, काँचळी, कब्जो अर साड़ी पैरै छै। जादातर परिवार मलर रैवै छै। आजकाल का छोरा-छापरा पडाई करबा कै तोड़ी परिवार सूँ न्यारा रहबा लागग्या। ढूँढाड़ का लुगाई-मोट्यार को जीवन सादा अर ऊंचा बच्यार छै।
ढूँढाड़ मै रैबाळा लोग जादातर पड्या-लिख्या छै पण गाँवाँ मै बडा-बूडा लोग अणपड छै। अण्डै की साक्सरता दर 63.5% छै। ईं इलाका मै नरा उद्योग-धन्दा छै, ज्यांसूँ ढूँढाड़ को नरो विकास हियो छै।
समाज मै न्यारी-न्यारी भासा बोलबाळा लोग भी रैवै छै। जादातर इसकूलाँ हिन्दी भासा मै चालै छै। ज्यो अण्डै का लोगाँ की मायड़ भासा कोनै अर ईं बजै सूँईं ये लोग दूसरी भासा नै सीखबा मै नरो टेम लगावै छै।
ढूँढाड़ी परिवार को जीवन
रोजिना सुंवांरई 4-5 बज्यां उठबो, ढाण्डा-ढोरां नै समाळबो। लुगायां घर को काम करै छै। कलेवो कर्यां पाछै पाळती खेतां मै चलज्या छै। दोपहरी मै 1-2 बज्याँ की साग-रोटी खावै छै। खेत पै सूँ 4-5 बज्याँ कै बीच मै ओठा घराँ आज्या छै। आदमी तो ढाण्डा-ढोराँ कै पाणी पार, धार-धुवाली काडै छै अर लुगायाँ घर को काम जियाँ पाणी-परिण्डो (पळिण्डो) अर साग-रोटी करै छै। ढूँढाड़ का लोगाँ को जीवन ढाण्डा-ढोर अर खेताँ मै कटै छै।
आज का जमाना का स्याब सूँ घणोई सरल जीवन छै पण यानै नई तकनीकी की जुरत छै।
अबार की राय