एक बार एक मदन नांव को आदमी छो। ऊँको बाप बेमार छो। वो घाडो बेमार हैर मरग्यो। मदन को बायेलो रामू छो। वो रामू नै खियो, “कै मन तो बारा दन तक सराव कोनै अर तू म्हारा बाप नै गंगाजी मै पटक्या।” मदन, रामू नै करायो-भाड़ो देर गंगाजी खन्दा दियो। रामू गंगाजी तो गियो कोनै अर मदन का बाप नै गेला मैईं पटकर आग्यो।
रामू दूसरै दन मदन नै घरां दिख्यो तो, मदन बच्यार लगायो कै, गंगाजी जार आबा मै तो नरा दन लागै छै अर यो तो बेगोई घरां कियां आग्यो? एक दन मदन, रामू नै खियो कै, मन रात मै एक सपनो आयो अर सपना मै म्हारो बाप आयो अर वो खियो, “कै तू कस्या आदमी नै गंगाजी खन्दायो छो? वो तो मन गेला मैईं पटकर आग्यो।” रामू बोल्यो, “भाई थारी बात तो सई छै पण थारा बाप नै तो मर्यां पाछै भी अकल नै आई।” वो अतरो अण्डि आयो जतरो उण्डी जातो तो गंगाजी मैईं चल जातो। ईं बात सूं मदन बडो दुखी हियो कै जादा बोलबाळा अर दगाबाज आदमी पै कद्यां भी बसवास न करणो चाईजे।
सीख:- झूंटा बायेला पै बसवास न करणो चाईजे।
- थाँकी राय द्यो