एक बार एक राजा कै दो राण्याँ छी। दोनी राण्याँ नतकई राजा सूँ राड़ करै छी अर पूचै छी, कै थे म्हाँ दोन्याँ मै सूँ जादा परेम कुण सूँ करो छो? राजो हमेसाँ याई खहछो, कै म्ह थाँ दोन्याँ सूँई परेम करूँ छूँ पण वाँ दोन्याँ नै ईं बात पै बसवास कोन छो। राजा नै नतकई पूचबा सूँ, वो घणो परेसान हैग्यो छो। एक दन राजो दोनी राण्याँ नै न्यारी-न्यारी बलार एक-एक मोती दे दियो अर खियो, म्ह तोनै यो मोती देर्यो छूँ, दूसरी राणी नै मत बताज्यो। ऊँकै पाछै, वै दोनी राण्याँ राजा नै पूचै छी कै, थे म्हाँ दोन्याँ मै सूँ जादा परेम कुण सूँ करो छो? राजो वानै या खहछो, जिंको नीलो मोती छै, ऊँसूँ ही म्ह जादा परेम करूँ छूँ। दोनी राण्याँ ईं बात नै सुणर मन ई मन मै घणी राजी है छी।
सीख : - अक्ल बडी है छै।
- थाँकी राय द्यो