एक बार जाडा का दना मै अकबर सगळा गाँव का लोगां नै भेळा कर लियो। गाँव कै साँकड़ै एक तळाव छो। अकबर ऊँ तळाव बेई खियो, जे आदमी ईं तळाव मै रात भर उबो रैज्या, ऊँनै एक लाख रफ्याँ की इनाम मल ज्याली। जाडा का दना मै सीळा पाणी मै उबो रहबा की बसकी कुण की छै? गाँव का सगळा आदमी तळाव मै रात भर उबा रहबा बेई नटग्या। एक गरीब आदमी खियो, म्ह रै जाऊँलो तळाव मै रात भर उबो। वो आदमी तळाव मै जार रातभर उबो-उबो राजा का महल मै जुपेड़ी चमनी ओड़ी देखतो रियो।
सुँवाँरई राजो ऊँनै खियो, तू कियाँ रियो छो? वो बोल्यो, म्ह तो महल मै जुपेड़ी चमनी ओड़ी देखतो रियो छो। राजो बोल्यो, तू तो चमनी सूँ तप लियो, जिसूँ तन इनाम कोन मलै। ईं बात नै राजा को दरबारी बीरबल सुण लियो। दूसरै दन अकबर, बीरबल नै खियो, तू जा खिचड़ी बणारल्या। बीरबल घणो चालाक छो। बीरबल खिचड़ी की हाण्डी नै तो एक लकड़ी गाडर ऊँकै माळै मेल दियो अर तळै जगरो बाळ दियो। उण्डीनै अकबर खिचड़ी की बाहठ न्हाळर्यो छो। थोड़ी बार पाछै अकबर, बीरबल कन आर देख्यो तो जगरो तळै बळर्यो छो अर हाण्डी नरी ऊँची मली छी। अकबर ऊँनै देखर खियो, या कियां सीजैली, या तो नरी ऊँची मली छै। बीरबल खियो, जद महल मै जुपेड़ी चमनी सूं वो आदमी तप सकै छै, तो या हाण्डी तो साँकड़ै ई छै। बीरबल की बात नै सुणर राजो तळै नाड़ कर लियो अर ऊँ आदमी नै बलार एक लाख रफ्या इनाम का दे दियो।
सीख :- अकल बडी है छै।