एक बार राजा का दरबार मै तीन आदमी हीरा-पन्ना बेचबाळा आग्या। वै राजा नै हाथ जोड़र बोल्या, राजाजी म्हे तीनू थाँकी नगरी मै हीरा-पन्ना बेचबा आर्या छा, गेला मै म्हानै डाकू मार-कूटर सगळा हीरा-पन्ना नै कुसका लिया, जिसूँ म्हाँकन रोटी खाबा बेई पीसा कोनै। राजो तीना नै एक-एक बोरी नाज की दे दियो अर वाँ बोर्यां मै एक-एक हीरा का नग मेल दियो। वानै राजो खियो, ईं नाज नै थे खुद ई सळियो करज्यो। तीना मै सूँ दो आदमी तो काम चोर छा, जे वै तो नाज की बोर्यां नै सळियो करबा बेई चून पीसबाळा नै दे दिया। एक आदमी घणो काम करबाळो छो, जिसूँ वो ऊँकी बोरी नै खुद ई सळियो कर्यो। ऊँ बोरी मै सूँ एक हीरो नखळ्यो जे घणो मँहगो छो। ऊँ आदमी नै काम करबा को फळ मलग्यो।
सीख :- मेहनत को फल मलै छै।
- थाँकी राय द्यो