एक बार एक राजो छो। वो गाँव कै बीच मै कोई कै दंगो हैज्या छो, तो ऊँको न्याई करै छो। एक दन दो लुगायाँ सुगना अर मंगळी एक बाळक पै लड़ पड़ी। सुगना तो खहछी म्हारो छै अर मंगळी खहछी म्हारो छै। दोनी लुगायाँ घाडी लड़ी अर वाँकी पार नै पड़ी तो वै दोनी ऊँ राजा कन चलगी। राजो दोनी लुगायाँ की बात नै सुणर सीळो हैग्यो। राजो मन मै बच्यार लगार खाण्डा सूँ बाळक का दो टूकड़ा करबा लागग्यो। सुगना, राजा नै बोली, राजा जी थे ईं बाळक नै मत काटो याँ खहर वा रोबा लाग्गी अर मंगळी चुपचाप खड़ी री। राजो मन मै बच्यार लगायो कै एक माँ की ममता तो फूट-फूटर रोरी छै, तो यो बाळक ईंको ही छै। राजो ऊँ बाळक नै सुगना नै देर घराँ खन्दा दियो अर मंगळी नै फाँसी की सज्या सुणा दियो।
सीख :- हमेसाँ साँच की जीत है छै।
- थाँकी राय द्यो