एक बार एक मुरगो नीमड़ी पै बैठ्यो छो। उण्डै एक लूँगती आई अर मुरगा नै बोली, अरै मुरगा तू रूँखड़ा पै कियाँ बैठ्यो छै। आज तो सब जन्दावराँ मै समझोतो हैग्यो। अब कोई भी एक-दूसरा नै कोन खावै। मुरगो ऊँचो हैर देख्यो तो, ऊँनै एक गण्डकड़ो आतो दिख्यो। लूँगती बोली, अरै तू काँई देखर्यो छै। मुरगो बोल्यो, एक गण्डकड़ो अण्डि नै आर्यो छै। लूँगती गण्डक सूँ डरपर जाबै लागी तो, मुरगो बोल्यो, डरपै मत जन्दावराँ मै समझोतो हैग्यो, फेर डर काँई बात को। लूँगती बोली, हालताँई गण्डकड़ा नै ठीक कोनै अर वा उण्डै सूँ भाग्गी।
सीख :- अकल बडी है छै।
- थाँकी राय द्यो