बचतो रिज्यो रै साथिड़ा आयो कोरोना भारी।
वाइरस या इतनो जबर है जग मै छायो रै।
संकरमण फेलायो काळ कै घास समायो रै॥(टेर)

चीन देस वुहान लेब सूं फैल्यो सारा जन-जन मै।
यम को फेरो आज लग्यो छै, संसारी का हर घर मै।
मत निखळज्यो रोड़ पै बीरा काळ को सायो रै॥
बचतो रिज्यो रै साथिड़ा आयो कोरोना......॥(1)

अमरिका बिरटेन पाक बी थर-थर कांप्यां जावै रै।
रूस जरमनी इसपेन्या इटली बी, हांप्या जावै रै।
सक्‍तिसाली बण्यां जो डोलै, अब घबराया रै॥
बचतो रिज्यो रै साथिड़ा आयो कोरोना......॥(2)

सोसल रो डिस्टेंस रांखज्यो, दो गज दूरी भाया रै।
दूरां सूईं करल्यो बातां, हाथ मिलाणो छोडो रै।
अपणी सुरक्सा तांई बीरा मूण्डै मास्क लगाज्यो रै॥
बचतो रिज्यो रै साथिड़ा आयो कोरोना......॥(3)

रिस्तेदारी भाई-सगां नै दूरां सूंईं समजा ज्यो रै।
जिन्दा रिया तो फेर मिलांगा, सांची बात बताज्यो रै।
अबकै बीरा माफी मांगो, संकट आयो रै॥
बचतो रिज्यो रे साथिड़ा आयो कोरोना......॥(4)

स्वच्छ भारत अबियान चालरियो देसड़ले मै म्हारे रै।
सेनिटाइज करले खुद नै, हाथ स्याबण सूं धोले रै॥
बिना स्वच्छ मूह-हाथ कर्यां, मत जीमण करज्ये रै॥
बचतो रिज्यो रै साथिड़ा आयो कोरोना......॥(5)

गळा दरद खांसी जुकाम ओर बुखार आवे जब तन मै।
सांस भर्यावै बडे तापकरम डील दुख्यावै पल भर मै।
होस्पिटल मै डाक्टरां सूं जांच कराज्यो रै॥
बचतो रिज्यो रै साथिड़ा आयो कोरोना......॥(6)

देसड़ल्यो परदान सेवक लोकडावन ले आयो रै।
थारा म्हारा जीवन खातर, हाथ जोड़ समजायो रै।
परसासन की बात समजल्यो, ईंमै हित सब पायो रै॥
बचतो रिज्यो रै साथिड़ा आयो कोरोना......॥(7)

विनवत कर गिरधारी खैर्यो मनख बचाल्यो रै।
बचतो रिज्यो रै साथिड़ा आयो कोरोना......॥(8)

कवि
गिरधारी लाल “गिरधर” (वरिष्ठ व्याख्याता)
ग्राम, पोस्ट- राजोली
तहसील-लालसोट, जिला-दौसा
राजस्थान