puzzle
आठ कुटकली नो सो जाळी, जिमै बैठ्यो बूडो ल्याळी।
खाट
उजाड़ दंगड़ मै खून को टोपो पड़्यो।
साँवण की डोकरी
उजाड़ दंगड़ मै झूँथरा फैलार ऊबी।
खजूर
आडी चालूँ टेडी चालूँ, चालूँ कमर कस, ईं फेळी को अरथ बता दे, रफ्या देद्यूँ दस।
दाँतळी
काळी छूँ कंकाळी छूँ, काळा बल मै रैऊँ छूँ, मरदाँ कै कान्दै खेलूँ छूँ, लाल पाणी पीऊँ छूँ।
तलवार
उजाड़ दंगड़ मै काकोजी हेला पाड़ै।
खरवाड़्यो
उजाड़ दंगड़ मै, एक डाकण मूण्डो फाड़र पड़ी।
कोठी
काळो घोड़ो, धोळी सवारी, एक उतरै, दूसरा की बारी।
तुवा की रोटी
खळ-खळ खाळ्यो डाँकै, खाळ्या मै खजूर, अन्दरा राणी माथो न्हावै, मनख उबो दूर।
रई-बलोवणी
चीकणी तलवार, भीत पै दी मार।
रीट
चोपड़ू अर चापड़ी, भरूँ भात। अब काँई-काँई घड़ूँ रै, गोप्याँ का नाथ।
चाक
च्यार आँगळ की कुटकली, दोनी मूण्डा गुट्ट। ई फेळी को अरथ बता, ऊँको नांव सीदो सट्ट।
चलम
च्यार कूँट को चूँतरो, च्यारूँ मूण्डा खाई। जंगळ मै बासा करै, नार डरपतो जाई।
गोखरू
च्यार घड़ा अमरत सूँ भर्या, बना ढकणा कै उगाड़ा पड़्या।
गाई का बोबा
च्यार डलाईबर, एक सवारी। ऊँकै पाछै जनता सारी।
अरथी
छोटी सी तळाई, जिमै न्हावै गुट्यो नाई।
पुवो
छोटी सी मसरी, सारा घर मै पसरी।
चमनी
छोटी सी राजबाई, राजाजी नै बार मलाई।
मरची
तण्णबट की ठीकरी तूँताटा करती जाई। ईं फेळी को अरथ बतादे, रफ्या देद्यूँ ढाई।
मोख
दन चालै, रात चालै, चालै एक पैण्ड।
कुँवाड़
धोळो घोड़ो झाबरी पूँछ, न जाणै तो थारा बाप नै पूच।
मूळो
पान ल्याज्यो, फूल ल्याज्यो ओर ल्याज्यो काकड़ी, पीसा का पीसा ल्याज्यो, टेकबा नै लाकड़ी।
आँकड़ो
बैठबा मै बैठगी, उठैली कियाँ। थारा घागरा कै दिऊँ लाग्गी, झाड़ैली कियाँ।
मूफळी
भैंस ब्याई जेठ मै, जर पटक्याई खेत मै, बच्यो लियाई पेट मै।
काचरी
आवैली अर जावैली। सासू म्हारी एकली, सूसरा म्हारा सो।
कळी
सो पड़त की साड़ी, फेर भी राण्ड उगाड़ी।
भळ्डी
एक अस्यान को बाहदूर वीर, गीत गार मारै तीर।
माछर
एक गाँव मै बाँस गड्यो, एक गाँव मै कुवा। एक गाँव मै आग लागी, एक गाँव मै धुवाँ।
कळी
एक सींग की गाई, जतरो नीरै अतरो ई खाई।
जातण
काळा जंगळ की राणी छै, लाल पाणी पीवै छै।
जूँ
अरी-अरी थारी कणियाँ, कैरी क्यूँरी। लाल जमी को घागरो थारो, हर्यो नेफो क्यूँरी।
लाल मरची
जंगळ मै सूँ लकड़ी ल्याऊँ। हळ, खटियाँ रोज बणाऊँ।
खाती
लुगाई को अस्यो काँई बरण छै, जिनै खुद को मोट्यार न देखै।
विधवा
घेरदार घागरो घुमेरदार बूँटी, रावळा मै कामदार कूटी।
मरची
उबी-उबी बदन जळाऊँ, उबी देद्यूँ ज्यान। अन्देरा घर मै उजाळो करद्यूँ, करल्यो म्हारो ग्यान।
मूँगबत्ती
एक आँगळ की कूकरी, नो आँगळ की पूँछ। भागती जावै जद्याँ, घटती जावै पूँछ।
सुई-तागो
चाँदपुर सूँ चाली आई, कानपुर मै पकड़ी गई। हातपुर का फैसला मै, नाखपुर मै मारी गई।
जूँ
एक बात म्ह सुणाऊँ, सुण म्हारा पूत। बना पगाँ सूँ उडगी, बाँद गळा मै सूत।
पतंग
जळ जमुर, पेड लाम्बो। फल खाया, पण पेड नहीं पाया।
ओळा
आठ अठोल्यो, च्यार बैंगण, दो तोर्यूं।
थन
जो की रोटी, धो सूँ सेकी, घी सूँ चोपड़ी, साग काँई को बणाई।
खो
आवो बैठो सीखो। नीचै चोड़ो, ऊपर तीको।
कळी
जाडा मै आऊँ छूँ, गरमी मै चल जाऊँ छूँ। सब नै प्यारी लागूँ छूँ, जाडो दूर भगाऊँ छूँ।
रजाई
तीन पाँखड़ा को देख्या कबूतर, सब कै घर मै रैतो। बरखाँ अर जाडा मै सोतो, बस गरमी मै उडतो।
पंखो
अकल की कोटड़ी, बकल का कुँवाड़, लाला को सो झूमको, पाणी सा ख्याल।
चड़स
असी काँई चीज छै, जे पाणी पीताँई मर जावै छै।
तसाई
काळी-काळी मुरगी, लाल-लाल बच्च्या। आगै जावै मुरगी, पाछै जावै बच्चया।
रैलगाडी
दस नूँ धरत्याँ चालै, हधर चालै पचास। फेरबाळो फेरग्यो, नहीं फेरण की आस।
सरवण कुमार
एक कोटड़ी मै चोसठ चोर, सबका मूण्डा काळा। पूँछ पकड़र आग लगावै, झट करदे उजाळा।
माचिस
घेरदार घागरो, गुबारादार बूँटी। एक टाँग पै उबी, जिंकी कणियाँ एक मुट्ठी।
छाँगी
अबार की राय