1.

अकल बडी कै भैंस।

अर्थ = बुद्धि की अपेक्षा, शारीरिक शक्‍ति का महत्त्व कम होता है।

2.

अण्डि पड़ै तो कुवो, उण्डी पड़ै तो खाँईं।

अर्थ = हर हाल में मुसीबत का आना।

3.

अस्यो सोनो काँई काम को ज्यो कान छेकै।

अर्थ = ऐसा धन किस काम का जो हानि पहुँचाता हो।

4.

आई माँवस गाँव कोनै बळै।

अर्थ = प्रत्येक बार नुकसान नहीं होता है।

5.

आई मुछ्याँ अर कुण नै पूच्या।

अर्थ = समझदार होने के बाद किसी को नहीं पूछते हैं।

6.

ईंट सूँ लेणी अर भाटा सूँ देणी।

अर्थ = किसी की दुष्टता के बदले में और अधिक दुष्टता प्रदर्शित करना।

7.

उतावळी खुमारी काचाई बेचै छै।

अर्थ = जल्दबाजी में खराब काम कर देना।

8.

एक म्यान मै दो तलवार न समावै।

अर्थ = समान अधिकार वाले दो व्यक्‍ति एक ही पद पर नहीं रह सकते हैं।

9.

एक सूँ दो भला चोखा छै।

अर्थ = अकेले की अपेक्षा दो अच्छे होते हैं।

10.

एकलो चणो भाण्डो न फोड़ सकै।

अर्थ = अकेला व्यक्‍ति बड़ा कार्य नहीं कर सकता है।

11.

ओखळी मै माथो दिया पाछै मूसळ को काँई डर।

अर्थ = यदि कठिन काम हाथ में ले लिया है, तो कठिनाइयों से नहीं डरना चाहिए।

12.

गरज पड़ै जद्‌याँ गधा नै भी बाप बणाणो पड़ै छै।

अर्थ = स्वार्थ के लिए व्यक्‍ति छोटे आदमी की भी खुशामद करते हैं।

13.

गीताँ पैली, घूगरी कोन बटै।

अर्थ = कार्य होने से पहले फल नहीं मिलता है।

14.

गुड़ खावै अर गुलगुला सूँ परेज राँखै।

अर्थ = वस्तु का भोग करे और उससे निर्मित चीजों से परहेज रखे।

15.

घर मै तो चणा को चून ही कोनै अर बेटो माँगै मोतीचूर।

अर्थ = सामर्थ्य से अधिक प्राप्त करने की लालसा रखना।

16.

घराँ आयाँ की तो गण्डकड़ा नै भी न काडै।

अर्थ = घर में आने वाले सभी का सत्कार किया जाता है।

17.

घी आँगळ्या अर गुड़ काँकर्यां।

अर्थ = घी व गुड़ दोनों वस्तुऐं थोड़ा-थोड़ा उपयोग करने पर भी जल्दी खत्‍म हो जाती है।

18.

चमड़ी चलज्या पण दमड़ी न ज्या।

अर्थ = बहुत कंजूसी करना।

19.

चींकटा कै माँखी लागै छै।

अर्थ = पैसे वालों के सभी दोस्त बन जाते हैं।

20.

छेळी खटीक नै ही धीजै छै।

अर्थ = जिसका कार्य होता है, वही उस कार्य को कर सकता है।

21.

छोटो मूण्डो अर बडी बात।

अर्थ = अपनी योग्यता से अधिक बोलना।

22.

जंगळ मै मोर नाच्यो कुण देख्यो

अर्थ = अपनी योग्यता का प्रर्दशन सभी के सामने करना चाहिए न की अकेले में।

23.

जतरा मूण्डा, अतरी ही बाताँ।

अर्थ = अनेक प्रकार की अफवाहें।

24.

झूँपड़ी मै रैवै अर महलाँ का सपना देखै।

अर्थ = अपनी सामर्थ्य से बढ़कर इच्छा करना।

25.

टापरा मै तो चणा को चून ही कोनै।

अर्थ = अत्यधिक गरीब होना।

26.

टूट्या सींग को ढाण्डो अर आळसी कद्‌याँ भी न्याल न करै।

अर्थ = टुटे हुए सींग के जानवर तथा आलसी मनुष्य कभी भी अच्छे नहीं होते। दोनों हमेशा बीमारी का घर रहते हैं।

27.

ठोकर खायाँ सूँ आँख्याँ खुलै छै।

अर्थ = कुछ खोकर ही अक्ल आती है।

28.

डूँगर बळतो दीखै छै, पगाँ बळती न दीखै।

अर्थ = दूसरों में बुराई नजर आती है, पर अपनी बुराई नहीं।

29.

डूबता नै तिनका को साहरो।

अर्थ = डूबते हुए व्यक्‍ति को एक तिनके का भी बहुत सहारा होता है।

30.

ढळती उमर अर बहतो पाणी कद्‌याँ भी कोन रुकै।

अर्थ = उम्र का कम होना व बहता हुआ पानी कभी भी नहीं ठहरता है।

31.

ढाई हात की लकड़ी अर नो हात को बीज

अर्थ = अनहोनी बात होना।

32

तेल देखो, तेल की धार देखो।

अर्थ = सावधानी और धैर्य से काम लो।

33.

तेल न मठाई, चूला पै धरी कड़ाई।

अर्थ = बिना साधन के काम करने के लिए सोचना।

34.

थकेड़ो ऊँट सराणो ताँकै छै।

अर्थ = थकान होने पर विश्राम चाहिए।

35.

थारी करणी थारै आगै, म्हारी करणी म्हारै आगै।

अर्थ = सबको अपने-अपने कर्म का फल भोगना पड़ता है।

36.

दूसरा को घर, थूँकबा को ही डर।

अर्थ = पराये घर में अपने जैसा बर्ताव नहीं करना।

37.

दो-दो अर वो भी चुपड़ी।

अर्थ = दोहरा लाभ होना।

38.

धाप्यो सूर बारा मण को उजाड़ करै छै।

अर्थ = आवश्यकता की पूर्ति होने के बाद वस्तु को बर्बाद करना।

39.

धोबी को गण्डक, घर को न घाट को।

अर्थ = असमंजस्य में किसी भी जगह का न होना।

40.

न अण्डी को, न उण्डी को।

अर्थ = दुविधा में हमेंशा हानि होती है।

41.

न तो, नो मण तेल हैवैलो, नै राधा नाचैली।

अर्थ = पूरी नहीं होने वाली शर्त।

42.

पड्या-लिख्या कै आगै ढोकलो मेल दे तो जाणज्या छै, छाणा नै खन्दावला।

अर्थ = समझदार को इशारा काफी होता है।

43.

बैर्यां को दाव, अन्देरा मै लागै छै।

अर्थ = दुश्मन हमेशा मौका देखकर वार करता है।

44.

भैंस कै आगै बीण बजाबा सूँ काँई फायदो।

अर्थ = नहीं समझने वाले को समझाना बेकार है।

45.

मुरगो बाँग न देलो तो, काँई सुँवांरई कोनै हैली।

अर्थ = समय किसी के रोकने से नहीं रुकता है।

46.

रावळा मै सूँ तेल आवै, झोळी मैईं वाटो।

अर्थ = मुफ्त में मिलने वाली वस्तु का सम्‍मान नहीं होता है।

47.

लंगड़ी का ब्याव मै नो नेक जादा हैवै छै।

अर्थ = परेशानी में और भी परेशानी होती है।

48.

सुसरा की फूटगी, बू उगाड़ी डोलै छै।

अर्थ = आवश्यकता होने पर भी उसकी पूर्ति नहीं करना।

49.

सेर नै, सुवा सेर जरूर मलै छै।

अर्थ = बड़े को और भी बड़ा मिलता है।

50.

हाण्डी मै हैलो, वो थाळी मै आवैलो।

अर्थ = जो मन में है वह ही प्रकट होगा।