यारी अर असनाईं छूटै, ईं पीसां का चक्‍कर मै।
भाई का दुसमन भाई बणज्या, ईं पीसां का चक्‍कर मै।
गवाई अपणा ब्यान पलट दे, ईं पीसां का चक्‍कर मै।
घर की लुगाई टेडी चालै, ईं पीसां का चक्‍कर मै।
छोरा-छोरी रैवै कुंवारा, ईं पीसां का चक्‍कर मै॥

जग मै है पेसे का नाता, झूंटा प्यार दिखाई दे।
बिन पेसे के उलट-पुलट बेवार दिखाई दे॥
जग मै है पेसे का नाता, झूंटा प्यार......॥(टेर)


जब तक पति कमाकर ल्यावै, मीठी बोलै नारी जी।
सुवार्थ कै ई कारण सुत सूं, प्यार करै मां थारी जी।
बडती रहे कमाई अच्छी, मिलती रिस्तेदारी जी।
निरधन जन सूं नफरत करती, देखो दुनियां सारी जी।
स्वार्थ का भाई-चारा, ये परिवार दिखाई दे॥
जग मै है पेसे का नाता, झूंटा प्यार......॥(1)


पेसा हो ना, पास मै आकर मित्‍तर भी आंख बदलज्या जी।
मुख सूं कुछ बोलै कोनै, वो चुपचाप निखळज्या जी।
जोर‍ चले ना टोटे मै भाई सब नक्साई बदलज्या जी।
ना कोई बी पास बिठावै, काया सोच फिकर मै गळज्या जी।
कंगले का दुनियां मै ना कोई यार दिखाई दे॥
जग मै है पेसे का नाता, झूंटा प्यार......॥(2)


निरधन का मन बिन पेसे के, आठो पहर उदास रहे।
सब फटकारै, ताना मारै कोई बी ना पास रहे।

पेट भराई मलै न रोटी, लगी पराई आस रहे।
ईदर-उदर नै फिरै रै भटकता, लेता लम्बे सांस रहे।
निरधन माणस का जीवन बेकार दिखाई दे॥
जग मै है पेसे का नाता, झूंटा प्यार......॥(3)


निरधन जन सूं दुनियां मै ना प्यार करणियां पावै जी।
नहीं करै सतकार कोई बी, किसी को नहीं सुवावै जी।
बिन पेसों के कोई परेम सूं बोलै ना बतळाव जी।
दुनियां मै भगवान किसी को निरधन नहीं बणावै जी।
नानक चन्द तुफान सरेस्ट ओमकार दिखाई दे॥
जग मै है पेसे का नाता, झूंटा प्यार......॥(4)