हंसा बीरा चालो रै चालो, सत की संगत कै मांई।
गुरु दाता का दरसण पावस्यां॥(टेर)


हंसा बीरा खावो रै खावो, हंसा वाळो खाण।
कागां को तो खाणो छोडद्‌यो॥
हंसा बीरा चालो रै चालो, सत की संगत……॥(1)


हंसा बीरा बैठो रै बैठो सतपुरसां कै मांई।
नुंगरां को बैठणो छोडद्‌यो॥
हंसा बीरा चालो रै चालो, सत की संगत……॥(2)


हंसा बीरा न्हावो रै न्हावो तीर समद की तीर।
नाडुल्यां को न्हाबो छोडद्‌यो॥
हंसा बीरा चालो रै चालो, सत की संगत……॥(3)


हंसा बीरा बोल्या रै बोल्या गोपी सर माराज।
सतसंग मै नतकै बैठणो॥
हंसा बीरा चालो रै चालो, सत की संगत……॥(4)