बाण आयां की बाण न जाये, चाई च्यारूं भेद पडाले रै।
पर तरिया अपणी ना होती कितना लाड लडाले रै॥(टेर)


ऊपर सूं है बोर चीकणो मांयां गुठली पावै छै।
मां पै छोरी पिता पै छोरो दुनियां खैती आवै छै।
कुड़म्बा वाणी करदे सूं, जद अपणी जिद पै आवै छै।
अस्यो परित को गुण छै तरिया मै, बरम्मा तक भी गावै छै।
गधा कहू नहीं बसकता, चाई गंगा बीच नुवाले रै॥
पर तरिया अपणी ना होती कितना लाड...…॥(1)


मस्त ऊंट कटकणा घोड़ा, तरिया जात जावै छै।
बिच्छू बन्दर सरप घेवरा पालण ये म्हे कोसै जी।
पति मार के हो सती, पाछै लोग दिखावा होसी जी।
आठूं चीज भरी जहर की, ईंकै भीतर कोसै जी।
काळा सरप नहीं अपणा, चाई कितना दूद पिलाले रै॥
पर तरिया अपणी ना होती कितना लाड...…॥(2)


तिरछी नजर अदा सूं देखै, जाणै घेटी मै नस कोनै जी।
मुट्‍ठी मै लेले ज्यान मरद की, चालै बस कोनै जी।
सब बात कांई बताऊं, तरिया मै जस कोनै जी।
गोरी-गोरी भरी जहर की, कतै भी रस कोनै जी।
गूद्‍दी पाछै पावै बुद्धि, किसी छांटकै चालै जी॥
पर तरिया अपणी ना होती कितना लाड...…॥(3)


पर तरिया कै बस मै होकर, ईंसक नसे म्हे टुले रै।
पर तरिया के बस म्हे होकर, कोनै सरग म्हे जुले रै।
सारी दुनियां 
खैती रै छै, घर-घर माटी का चूला रै।
किस-किस के दुख दूर करूं, सब मोह माया पै डोले रै।
मांगीराम सांग के बारे, सारा सुख-दुख गाले रै॥
पर तरिया अपणी ना होती कितना लाड...…॥(4)