एक बार एक राजो अर बीरबल दरबार मै बैठ्या छा। राजो बीरबल नै खियो कै, “ईं दनियां मै चातरक अर बावळ्यो कुण छै?” बीरबल खियो कै, “चातरक बाण्यां अर बावळ्या मुल्ला हैवै छै।” राजो खियो कै, तू दखार बता किया है छै। बीरबल एक मुल्ला नै अर एक बाण्यां नै दरबार मै बला लियो। बीरबल मुल्ला नै खियो कै, राजो थारी डाडी लेलो बता ईंको मोल कांई छै? मुल्लो डरपतो-डरपतो बोल्यो कै, दस रफ्या ल्यूंलो। बीरबल मुल्ला नै दस रफ्या दे देयो अर नाई ऊँकी डाडी बणा दियो।
अब बीरबल एक बाण्यां नै ल्यायो अर ऊँनै खियो कै, थारी डाडी को मोल बता अकबर बादस्यो लेलो। बाण्यों बोल्यो कै, म्हारी डोकरी मरी जद्यां बीस हजार रफ्या लाग्या छा। बीरबल बाण्यां नै बीस हजार रफ्या दे दियो अर नाई नै डाडी काटबा बठाण दियो। बाण्यां की डाडी कै नाई हाथ लगाबा लाग्योर बाण्यों नाई कै एक थप्पड़ देफाड़्यो अर बोल्यो, “कै तनै ठीक कोनै कै बादस्या की डाडी छै।” बाण्यां की बात नै बादस्यो सुण लियो तो, बाण्यां की डाडी बना काट्यांईं, बाण्यां नै दरबार मै सूं नखाळ दियो। बाण्यों बीस हजार रफ्या लेर ऊँकै घरां चलग्यो। बीरबल, अकबर बादस्या नै खियो कै, देखल्यो बाण्यों डाडी भी नै दियो अर बीस हजार रफ्या भी लेग्यो। चातरक बाण्यों छै या कोनै? अकबर बोल्यो, बीरबल थारी बात सई छै, बाण्यां घणा चारतक है छै।
सीख :- अकल बडी है छै।
- थाँकी राय द्यो