एक बार एक गांव मै एक डोकरो छो। वो बेमार हैग्यो अर खाटला मै पड़ग्यो। वो खाट मै पड़्यो-पड़्यो घाडो दुखी हैग्यो। डोकरा का घरका ऊँकी सेवा करता-करता घाडा खुराब हैग्या एक दन ऊँ डोकरा का घरका बच्यार लगाया, “कै ईं डोकरा की खाट नै घर की महड़ी माळै डारद्‌यां छां।” ऊँ डोकरा का घरका ऊँकी खाट नै घर की महड़ी माळै डार दिया। डोकरा नै एक टोकरो दे दिया। ऊँनै खिया कै, तन भूख लागतांई टोकरा नै बजा दीज्यो। डोकरो नतकई भूख लागै जद्‌यां ऊँ टोकरा नै बजा दे छो। एक दन ऊँ टोकरा नै एक छोरो लेग्यो। डोकरा नै भूख लागी जद्‌यां। वो ऊँ टोकरा नै हेर्यो तो, टोकरो कोन लाद्‌यो। वो भूखां मरतो मरग्यो। डोकरा का घरका ऊँनै देख्या तो, वो मरेड़ो लाद्‌यो। पाछै डोकरा नै गांव का लोग-बाग देखर खिया, “महड़ी माळै डोकरो, डोकरा नै दे दिया टोकरो, टोकरा नै लेग्यो छोकरो, भूखां मरतो मरग्यो डोकरो।” पाछै डोकरा का घरका घणा पसताया।

सीख :- बडा-बूडा की सेवा करणी चाईजे।
 

बुडापो खोटो छ