मन लोबी नहीं बिचारी रै।
थारी म्हारी करता उमर हैगी सारी रै॥(टेर)


नो-दस मास गरब मै रांख्यो माता थारी रै।
बारै निखाळो नै पूरण भगती करसूं थारी रै॥
मन लोबी नहीं बिचारी रै……॥(1)


पांच मै लागै, पच्‍चीस मै लाग्यो, थारी आई जुवानी रै।
माता तो तन खारी लागै, तरिया प्यारी रै॥
मन लोबी नहीं बिचारी रै……॥(2)


कोडी-कोडी माया जोड़ी, बण्यो हजारी रै।
एक तिमणी कै खातिर ले नित राड़ उधारी रै॥
मन लोबी नहीं बिचारी रै……॥(3)


रूकज्या कण्ठ दसों दरवाजा, माची घ्यारी रै।
कहत कबीर सुणो भाई साधो, होली थारी रै॥
मन लोबी नहीं बिचारी रै……॥(4)