ढूँढाड़ी भजन

भगती का मनवा बड़द

भगती का मनवा बड़द घणा भारी।
लेवैला कोई सन्‍त सूरमा द्‌यो चरणा झारी॥(टेर)


भगती भारत जुगां-जुगां सूं जीवां की प्यारी।
कायर ज्यानै काम न आवै, बात करै न्यारी॥
भगती का मनवा बड़द घणा भारी……॥(1)

सोवै काळी नागणी

सोवै काळी नागणी, जगावै ग्यानी भंवरो रै॥(टेर)


थारी तो नगरी मै रै भंवरा, पांच पटराणी रै।
भजन करैली वै तो बिना सुर-बाणी रै॥
सोवै काळी नागणी, जगावै ग्यानी भंवरो……॥(1)

हंसा बीरा चालो रै चालो

हंसा बीरा चालो रै चालो, सत की संगत कै मांई।
गुरु दाता का दरसण पावस्यां॥(टेर)


हंसा बीरा खावो रै खावो, हंसा वाळो खाण।
कागां को तो खाणो छोडद्‌यो॥
हंसा बीरा चालो रै चालो, सत की संगत……॥(1)

साधु भाई बिना निवण कुण तरिया

साधु भाई बिना निवण कुण तरिया।
आदु रै पन्त नवळ पद मोटा, साद सन्तां की करिया।
हरि जन बिना निवण कुण तरिया॥(टेर)


च्यार जुगां की, च्यार चोकड़ी गणपत आसण धरिया।
आसण माण्ड अगड होई बैठ्या, सहजांईं सुमरण करिया॥
हरि जन बिना निवण कुण तरिया……॥(1)

जग मै है पेसे का नाता

यारी अर असनाईं छूटै, ईं पीसां का चक्‍कर मै।
भाई का दुसमन भाई बणज्या, ईं पीसां का चक्‍कर मै।
गवाई अपणा ब्यान पलट दे, ईं पीसां का चक्‍कर मै।
घर की लुगाई टेडी चालै, ईं पीसां का चक्‍कर मै।
छोरा-छोरी रैवै कुंवारा, ईं पीसां का चक्‍कर मै॥