भगती का मनवा बड़द

भगती का मनवा बड़द घणा भारी।
लेवैला कोई सन्‍त सूरमा द्‌यो चरणा झारी॥(टेर)


भगती भारत जुगां-जुगां सूं जीवां की प्यारी।
कायर ज्यानै काम न आवै, बात करै न्यारी॥
भगती का मनवा बड़द घणा भारी……॥(1)

मन लोबी नहीं बिचारी रै

मन लोबी नहीं बिचारी रै।
थारी म्हारी करता उमर हैगी सारी रै॥(टेर)


नो-दस मास गरब मै रांख्यो माता थारी रै।
बारै निखाळो नै पूरण भगती करसूं थारी रै॥
मन लोबी नहीं बिचारी रै……॥(1)

Subscribe to