एक नगर मै दो सेठ रहछा। एक को नाँव घासीराम अर दूसरा को नाँव रामफूल छो। वाँ दोन्याँ नै धन-धोलत को घणो घमण्ड छो। एक दन घासीराम, रामफूल सेठ सूँ मलबा चलग्यो। घासीराम, रामफूल का मकान नै देखर अछम्बा मै पड़ग्यो। अतरो बडो मकान अर वो भी तीन मजली। गाँव का सगळा रामफूल का मकान नै देखता अर बडाई करता। घासीराम उल्टो ऊँकै घराँ आग्यो। घासीराम बडो उदास छो कै, रामफूल को मकान, आपणा मकान सूँ जोरदार छै। घासीराम ऊँका नोकर नै खियो, जे रामफूल का मकान नै बणायो छो, ऊँ कारीगर नै लेर आवो।

नोकर ऊँ कारीगर नै लियायो। घासीराम ऊँनै खियो, म्हारो मकान अस्यो बणावो जे सबसूँ चोखो अर तीन मजली है। मजदूर बनात खोदबा लागग्या। थोड़ी बार पाछै उण्डै घासीराम आग्यो। घासीराम कारीगर नै खियो, यो खाडो क्यूँ खोदर्या छै? कारीगर खियो, सबसूँ पहली मजबूत नीम, फेर पहली मजल, दूसरी मजल अर ऊँकै पाछै तीसरी मजल बणावाँला। घासीराम खियो, मन याँ सबसूँ काँई मतलब कोनै। थे तो सीदा तीसरी मजल बणावो अर ऊँनै अतरी ऊँची बणावो जतरी घासीराम बेई बणाया छा। नीम अर बाकी मजलाँ को पातक मत करो। कारीगर खियो, अस्याँ कोन है सकै। सेठ खियो, ठीक छै थे अस्‍याँ न बणा सकै तो, म्ह कोई ओर सूँ बणावाल्यूँलो। कारीगर खियो, ईं नंगरी मै काँई पूरा संसार मै कोई भी न बणा सकै। ऊँ सेठ को घर कद्‍याँ भी कोन बण सक्यो। जिसूँ खिया छै कै, कस्या भी काम नै पूरो करबा कै तोड़ी ऊँ काम की नीम मजबूत करणी चाईजे।

सीख:- हर काम की नीम मजबूत हैणी चाईजे।