एक टोप्याँ बेचबाळो अर बान्दरा
एक बार एक टोप्याँ बेचबाळो छो। वो गाँव-गाँव जार टोप्याँ बेचै छो। एक दन घणी गरमी छी। जिसूँ वो एक रूँखड़ा कै तळै साँस खाबा लागग्यो अर ऊनै नन्दरा आगी। रूँखड़ा पै घणा सारा बान्दरा छा। वै बान्दरा रूँखड़ा पै सूँ तळै उतर्र ऊँ टोप्याँ बेचबाळा की गाँठड़ी खोलर ऊँमै सूँ टोप्याँ
- आगै ओर पडो
- थाँकी राय द्यो
अबार की राय