एक लूँगती अर एक मुरगो
एक बार एक मुरगो नीमड़ी पै बैठ्यो छो। उण्डै एक लूँगती आई अर मुरगा नै बोली, अरै मुरगा तू रूँखड़ा पै कियाँ बैठ्यो छै। आज तो सब जन्दावराँ मै समझोतो हैग्यो। अब कोई भी एक-दूसरा नै कोन खावै। मुरगो ऊँचो हैर देख्यो तो, ऊँनै एक गण्डकड़ो आतो दिख्यो। लूँगती बोली, अरै तू काँई देखर
- आगै ओर पडो
- थाँकी राय द्यो
अबार की राय